‘राष्ट्रीय पोषण अभियान’ के तहत भारत को कुपोषण मुक्त बनाने में सरकार अब तक कितनी हुई सफल?, जानें।

‘राष्ट्रीय पोषण अभियान’ के तहत भारत को कुपोषण मुक्त बनाने में सरकार अब तक कितनी हुई सफल?, जानें।
September 18, 2025 at 12:04 pm

भारत सरकार द्वारा चलाया जा रहा राष्ट्रीय पोषण अभियान (National Nutrition Mission) देशभर में कुपोषण को समाप्त करने और मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को मजबूत बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक प्रयास है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 मार्च 2018 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर इस योजना की शुरुआत की गई थी। उस समय सरकार ने 2022 तक भारत को कुपोषण मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा था लेकिन पूरा न होने की वजह से इस अभियान के लक्ष्य की सीमा को बढ़ाकर वर्ष 2030 तक कर दिया गया है।

भारत में कुपोषण की स्थिति

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) की रिपोर्ट बताती है कि भारत में पाँच वर्ष तक की उम्र के बच्चों में से बड़ी संख्या अभी भी स्टंटिंग (लंबाई में कमी), वेस्टिंग (वजन में कमी) और एनीमिया जैसी समस्याओं से जूझ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या और भी गंभीर है। यही कारण है कि सरकार ने एक व्यापक और बहु-आयामी कार्यक्रम की शुरुआत की, ताकि बच्चों और माताओं को बेहतर पोषण और स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकें।

अभियान के प्रमुख उद्देश्य

  1. पाँच वर्ष तक के बच्चों में स्टंटिंग की दर को 38.4% से घटाकर 25% तक लाना।
  2. बच्चों और महिलाओं में एनीमिया की दर को 3% हर साल कम करना।
  3. गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को समय पर पौष्टिक आहार और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना।
  4. किशोरियों में पोषण संबंधी जागरूकता बढ़ाना।
  5. आंगनवाड़ी केंद्रों की व्यवस्था को डिजिटल और आधुनिक बनाना।


कैसे काम करता है पोषण अभियान?

  • पोषण माह और पोषण पखवाड़ा: हर साल सितंबर को ‘पोषण माह’ के रूप में मनाया जाता है, जिसमें स्कूलों, पंचायतों और आंगनवाड़ी केंद्रों में जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं।
  • तकनीकी सहायता: लाभार्थियों को ट्रैक करने के लिए मोबाइल ऐप और डैशबोर्ड का इस्तेमाल किया जा रहा है।
  • समुदाय की भागीदारी: स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी सेवाएं, महिला स्वयं सहायता समूह और पंचायत मिलकर इस अभियान को सफल बनाने में जुटे हैं।
  • बहुक्षेत्रीय दृष्टिकोण: स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, जल और स्वच्छता जैसे मंत्रालय मिलकर इस योजना को लागू कर रहे हैं।


लाभार्थियों तक पहुँचा असर

ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लाखों परिवारों को इस योजना से लाभ हुआ है। आंगनवाड़ी केंद्रों के जरिए गर्भवती महिलाओं को आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां, बच्चों को पौष्टिक भोजन और समय-समय पर स्वास्थ्य जांच उपलब्ध कराई जा रही है। स्कूलों में भी मिड-डे मील कार्यक्रम को राष्ट्रीय पोषण अभियान से जोड़ा गया है, ताकि बच्चों को संतुलित आहार मिल सके।

भविष्य की योजना और सरकार का लक्ष्य

सरकार ने 2030 तक “कुपोषण मुक्त भारत” का लक्ष्य रखा है। इसके लिए स्टंटिंग, वेस्टिंग और एनीमिया की दर में कमी लाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आने वाले वर्षों में और भी आंगनवाड़ी केंद्रों का आधुनिकीकरण, मोबाइल तकनीक का उपयोग और जन भागीदारी बढ़ाने की योजना है।

निष्कर्ष

राष्ट्रीय पोषण अभियान केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि यह एक जन आंदोलन है। जब तक समाज, सरकार और परिवार मिलकर इस दिशा में काम नहीं करेंगे, तब तक कुपोषण की चुनौती पूरी तरह खत्म नहीं होगी। लेकिन जिस तरह से यह अभियान आगे बढ़ रहा है, उम्मीद की जा रही है कि आने वाले वर्षों में भारत एक स्वस्थ और कुपोषण मुक्त राष्ट्र के रूप में स्थापित होगा।