तुलसी विवाह 2025: इस दिन होगा भगवान विष्णु और तुलसी का शुभ मिलन

तुलसी विवाह 2025: इस दिन होगा भगवान विष्णु और तुलसी का शुभ मिलन
October 30, 2025 at 4:50 pm

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) मनाया जाता है। यह पर्व इस वर्ष रविवार, 2 नवंबर 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन से शुभ विवाहमुहूर्तों की शुरुआत भी मानी जाती है।

शास्त्रों के अनुसार, तुलसी देवी को देवी लक्ष्मी का अवतार माना गया है, जबकि भगवान विष्णु या शालिग्राम उनके वर माने जाते हैं। तुलसी विवाह का आयोजन घर-घर में धूमधाम से किया जाता है, खासकर महिलाओं द्वारा।

तुलसी विवाह 2025 का शुभ मुहूर्त

  • एकादशी तिथि शुरू होगी – 1 नवंबर 2025, सुबह 9:13 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त होगी – 2 नवंबर 2025, शाम 7:31 बजे
  • पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय: 2 नवंबर की शाम प्रदोषकाल में

ध्यान दें कि पंचांग और क्षेत्र के अनुसार मुहूर्त में थोड़े बदलाव हो सकते हैं।

तुलसी विवाह की पूजाविधि

  1. तुलसी का मंडप सजाएं — तुलसी के पौधे के चारों ओर रंगोली, दीपक और फूलों से मंडप बनाएं।
  2. विवाह का प्रतीक तैयार करें — तुलसी को लाल चूनरी, बिंदी, गहनों और हल्दी-कुमकुम से सजाएं।
  3. भगवान विष्णु या शालिग्राम को वर के रूप में स्थापित करें।
  4. मंत्रोच्चार के साथ विवाह संस्कार करें।
    महिलाएं “तुलसी-विष्णु विवाह मंत्र” का जाप करती हैं और तुलसी-विष्णु की आरती उतारती हैं।
  5. अंत में प्रसाद वितरण करें।
    मीठा भोग, फल और पंचामृत बाँटकर पूजा पूर्ण की जाती है।


तुलसी विवाह का धार्मिक महत्व

  • तुलसी विवाह से विवाह का शुभ आरंभ होता है। इस दिन से ही शादी के समारोहों का सिलसिला शुरू हो जाता है।
  • इस पर्व को धन, सौभाग्य और वैवाहिक सुख का प्रतीक माना जाता है।
  • मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से तुलसी विवाह में भाग लेते हैं, उन्हें वैवाहिक जीवन में स्थिरता और समृद्धि प्राप्त होती है।
  • तुलसी पूजा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा और शांति बनी रहती है।


लोककथाएँ और मान्यता

पुराणों के अनुसार, तुलसी देवी पहले वृंदा नाम की एक पतिव्रता स्त्री थीं। उनके पति असुरराज जलंधर की मृत्यु के बाद, भगवान विष्णु ने वृंदा को तुलसी के रूप में जन्म दिया।
भगवान विष्णु ने उनसे वचन दिया कि वे हर वर्ष कार्तिक द्वादशी को उनसे विवाह करेंगे — तभी से तुलसी विवाह की परंपरा की शुरुआत हुई।

तुलसी विवाह का सामाजिक संदेश

यह पर्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और पारिवारिक सद्भाव का प्रतीक भी है। इस दिन लोग घरों, मंदिरों और समाजिक स्थलों पर एक साथ पूजा-अर्चना करते हैं और रिश्तों में प्रेम और विश्वास बढ़ाने का संदेश देते हैं।

निष्कर्ष

तुलसी विवाह का पर्व हमें प्रकृति और अध्यात्म के गहरे संबंध की याद दिलाता है।
यह न केवल धार्मिक आस्था का उत्सव है, बल्कि पर्यावरण-संरक्षण और परिवारिक एकता का भी प्रतीक है।
इस बार 2 नवंबर 2025 को जब तुलसी और विष्णु का मिलन होगा, तो पूरे देश में फिर से भक्ति और उत्साह की लहर दौड़ेगी।