बांग्लादेश की पूर्व पीएम Sheikh Hasina को ‘मानवता के खिलाफ अपराधों’ के लिए मौत की सज़ा

बांग्लादेश की पूर्व पीएम Sheikh Hasina को ‘मानवता के खिलाफ अपराधों’ के लिए मौत की सज़ा
November 17, 2025 at 6:48 pm

बांग्लादेश की एक विशेष अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल (International Crimes Tribunal‑1) ने पूर्व प्रधानमंत्री Sheikh Hasina को मानवता के खिलाफ अपराधों के दोषी ठहराते हुए उनकी अनुपस्थिति में मौत की सज़ा सुनाई है।

यहाँ उस फैसले के पाँच मुख्य बिंदु दिए जा रहे हैं:

  1. कोर्ट ने पाया कि Sheikh Hasina ने 2024 में शुरू हुए एक छात्र-आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों के खिलाफ घातक कार्रवाई को निर्देशित किया था और सुरक्षा बलों को विस्फोटक-हथियार, हेलिकॉप्टर और ड्रोन जैसी तकनीकों से समर्थन देने में भूमिका निभाई।
  2. ट्रिब्यूनल ने कहा कि उन्होंने दमनात्मक कार्रवाई रोकने में नाकामी दिखाई—न सिर्फ आदेश दिया गया बल्कि सक्रिय रूप से कार्यवाही को आगे बढ़ाया गया।
  3. फैसले में यह भी उल्लेख किया गया कि बहुत-से घायल प्रदर्शनकारियों को अस्पताल में उचित इलाज नहीं मिला, और कई मौत-घटनाएं हिरासत एवं गोलीबारी के दौरान हुईं।
  4. इसके साथ ही, Sheikh Hasina के साथ पहले गृह मंत्री Asaduzzaman Khan Kamal को भी मौत की सज़ा सुनाई गई है, जबकि पूर्व पुलिस महानिरीक्षक Chowdhury Abdullah Al‑Mamun को गवाह बनने के कारण सिर्फ 5 साल की सज़ा दी गई।
  5. इस फैसले के बाद राजधानी ढाका सहित कई स्थानों पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है, क्योंकि हिंसात्मक हालात के जोखिम को देखते हुए सरकार ने अलर्ट जारी किया है।


प्रसंग और आगे की राह:

  • इस फैसला बांग्लादेश की राजनीति में एक बड़ा मोड़ माना जा रहा है।
  • Sheikh Hasina ने इस ट्रिब्यूनल को “पक्षपाती” और “राजनीतिक प्रेरित” बताया है, उन्होंने कहा है कि उन्हें अपना बचाव करने का पर्याप्त मौका नहीं मिला।
  • अब सवाल यह उठता है कि अगर उन्होंने भारत में आश्रय लिया है तो प्रत्यर्पण की प्रक्रिया कैसे आगे बढ़ेगी और यह सज़ा कितनी प्रभावी रूप से लागू हो पाएगी।


निष्कर्ष:
Sheikh Hasina को सुनाई गई मौत की सज़ा सिर्फ एक व्यक्तियों के खिलाफ फैसला नहीं है, बल्कि बांग्लादेश में सत्ता-परिवर्तन, न्याय और मानवाधिकारों की दिशा में एक प्रतीकात्मक घटना बन गई है। इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि प्रदर्शनकारियों के साथ हुई हिंसा और दमन के दायित्व को कोर्ट ने गंभीर रूप से लिया है।