शनि देवालयम, देवनार: शनिदेव को समर्पित यह मंदिर भारत के महाराष्ट्र प्रांत के मुंबई शहर के देवनार में स्थित है। यह मंदिर शिवाजी प्रतिमा के पूर्व में चेंबूर, देवनार, गोवंडी के जंक्शन पर (मुंबई-पुणे-बैंगलोर) ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे पर स्थित है। इस मंदिर के मुख्य देवता भगवान शनिश्वर हैं। जो एक सुंदर, शक्तिशाली और भव्य 7 फुट ऊंची काली प्रतिमा के रूप में स्थापित हैं। शनि दोष से पीड़ित लोग या जिनकी शनि महादशा चल रही है, वे इस मंदिर में तैलाभिषेक करने के लिए आते हैं। माना जाता है कि इस तेल से की गई पूजा शनिदेव को प्रसन्न करती है।
देवनार स्थित शनि मंदिर के परिसर में हनुमान, जगदीश्वर, साईंबाबा और माता देवताओं के अलावा नवग्रह मंडप भी है। गर्भगृह में भगवान शनिश्वर के साथ जेष्ठा देवी की बहुत ऊंची भव्य मूर्ति है। उनके बाईं ओर हनुमान और दाईं ओर जगदीश्वर स्वामी हैं। शास्त्रों में शनि को सूर्य का पुत्र और मृत्यु के देवता यम का भाई बताया गया है। शनि की विशेषताओं का बखान करते हुए प्राचीन ग्रंथ “श्री शनि महात्म्य” में लिखा गया है कि शनि देव का रंग काला है और उनका रूप सुन्दर है, उनकी जाति तैली है और वे काल-भैरव की उपासना करते हैं।
ज्योतिष में साढ़ेसाती और ढैया आदि दोषों का कारण शनि को माना गया है। जब वर्तमान समय में शनि किसी की चंद्र राशि में, उससे एक राशि पहले या बाद में स्थित हो तो उसे साढ़ेसाती कहते हैं। कहते हैं कि साढ़ेसाती के दौरान भाग्य अस्त हो जाता है। लेकिन शनि को सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाला ग्रह माना जाता है। यदि शनि की नियमित आराधना की जाए और तिल, तैल व काली चीज़ों का दान किया जाए, तो शनि देव की कृपा पाने में अधिक समय नहीं लगता।
मान्यतानुसार, जो भी भक्त देवनार स्थित शनि देवालयम (Shani Devalayam) में स्थापित शनि देव को तेल चढ़ाता है उसे साढ़े साती से तुरंत छुटकारा मिल जाता है। शनि देव के सबसे प्राचीन मंदिर शनि शिंगणापुर की तरह ही देवनार स्थित शनि मंदिर की महत्ता है। यहाँ जो भी भक्त श्रद्धा से शनि देव की उपासना करता है, वे उसे मनोवांछित फल देते हैं।