जटोली शिव मंदिर, सोलन

जटोली शिव मंदिर, सोलन
March 10, 2025 at 12:15 pm

भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर भारत के हिमाचल प्रदेश प्रांत के सोलन शहर से 7 किलोमीटर दूर जटोली गांव में स्थित है। दक्षिण-द्रविड़ शैली में बने इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 111 फुट है। मंदिर का भवन निर्माण कला का एक बेजोड़ नमूना है, जो देखते ही बनता है। कहा जाता है कि इस मंदिर में लगे पत्थरों को थपथपाने पर डमरू जैसी आवाज आती है। मान्यतानुसार, दावा यह मंदिर एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है। जटोली शिव मंदिर को पूरी तरह तैयार होने में करीब 39 साल का समय लगा।

जटोली शिव मंदिर (Jatoli Shiv Mandir) को लेकर ये मान्यता है कि पौराणिक काल में भगवान शिव यहां आए थे और कुछ समय के लिए रहे थे। बाद में 1950 के दशक में स्वामी कृष्णानंद परमहंस नाम के एक बाबा यहां आए, जिनके मार्गदर्शन और दिशा-निर्देश पर ही जटोली शिव मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ। साल 1974 में उन्होंने ही इस मंदिर की नींव रखी थी। हालांकि, बाबा ने साल 1983 में उन्होंने समाधि ले ली, लेकिन मंदिर का निर्माण कार्य नहीं रूका बल्कि इसका कार्य मंदिर प्रबंधन कमेटी देखने लगी।

सोलन शिव मंदिर (Solan Shiv Temple) में हर तरफ विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं, जबकि मंदिर के अंदर स्फटिक मणि शिवलिंग स्थापित है। इसके अलावा यहां भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं। वहीं, मंदिर के ऊपरी छोर पर 11 फुट ऊंचा एक विशाल सोने का कलश भी स्थापित है, जो इसे बेहद ही खास बना देता है। मंदिर तीन क्रमिक पिरामिडों से बना है। पहले पिरामिड पर भगवान गणेश की छवि देखी जा सकती है जबकि दूसरे पिरामिड पर शेष नाग की मूर्ति है। करोड़ों रुपये की लागत से बने इस मंदिर की सबसे खास बात ये है कि इसका निर्माण देश-विदेश के श्रद्धालुओं द्वारा दिए गए दान के पैसों से हुआ है। यही वजह है कि इसे बनने में तीन दशक से भी ज्यादा का समय लगा।

मंदिर के उत्तर-पूर्व कोने पर ‘जल कुंड’ नामक एक जल कुंड है जिसे पवित्र नदी गंगा के समान पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि इस कुंड के पानी में कुछ औषधीय गुण हैं जो त्वचा रोगों का इलाज कर सकते हैं। मंदिर के अंदर एक गुफा है जहाँ स्वामी कृष्णानंद परमहंस जी रहते थे। यह प्राचीन मंदिर अपने वार्षिक मेले के लिए प्रसिद्ध है, जो महाशिवरात्रि के त्योहार के दौरान आयोजित किया जाता है। मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए देश विदेश से बड़ी भारी संख्या में श्रद्धालु एकत्रित होते हैं।