श्री कष्टभंजन देव हनुमानजी मंदिर, सारंगपुर, गुजरात

श्री कष्टभंजन देव हनुमानजी मंदिर, सारंगपुर, गुजरात

प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमानजी को समर्पित यह मंदिर भारत के गुजरात प्रांत के सारंगपुर में स्थित है। हनुमानजी का ये सबसे पवित्र मंदिर स्वामीनारायण संप्रदाय के वडताल गादी के अंतर्गत आता है। सारंगपुर हनुमान मंदिर जो कि कष्टभंजन देव के नाम से प्रसिद्ध है, एक बहुत चमत्कारी मंदिर है। मान्यतानुसार, यहाँ आनेवाले भक्तो की मनोकामना पूरी होती है। अगर कुंडली में शनि दोष हो तो यहाँ दर्शन और पूजा अर्चना मात्र से संकट दूर हो जाते है।

सारंगपुर हनुमान मंदिर बहुत विशाल है और यहां स्थापित भगवान हनुमान की मूर्ति बहुत प्रभावशाली है। यह दिव्य प्रतिमा एक ऐसी प्रतिमा है जहां हनुमान जी के साथ उनकी वानर सेना की भी पूजा की जाती है। मंदिर में हनुमानजी की छवि सद्गुरु गोपालानंद स्वामी द्वारा अश्विनी वदी पंचम – संवत 1905 पर स्थापित की गई थी। रेमंड विलियम्स नाम के एक लेखक के अनुसार, मूर्ति स्थापित करते समय, स्वामी ने इसे एक छड़ी से छुआ था जिससे इसमें जीवन भर गया और यह हिल गई थी। कहा जाता है कि इस मंदिर में स्थापित मूर्ति की आभा इतनी शक्तिशाली है कि बुरी आत्माओं से प्रभावित लोगों के इस पर नजर डालने मात्र से ही बुरी आत्माएं दूर हो जाती हैं।

हनुमान जी के पैरों में स्त्री के वेश में शनिदेव भी विराजित है। शनिदेव को सबसे क्रोधित देवता माना जाता है। कहा जाता है कि इनकी बुरी दृष्टि किसी पर पड़ जाए तो उनके जीवन में परेशानियां आने लगती है। लेकिन महाबली हनुमान के आगे शनिदेव भी कुछ नहीं कर पाते हैं। यहां के पुजारी मंदिर के कुएं के पास पूजा करते हैं। जिसका पानी बहुत पवित्र माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि लगभग 350 साल पहले इस कुएं में भगवान हनुमान की मूर्ति मिली थी और उसी स्थान पर मंदिर का निर्माण किया गया था।

सेठ श्री कसमाली लक्ष्मीदास नाम के एक धनी व्यापारी ने 20वीं शताब्दी के अंत में मंदिर के व्यापक जीर्णोद्धार के लिए धन उपलब्ध कराया। उन्होंने मंदिर के जीर्णोद्धार और उपासकों के लिए नई सुविधाओं के निर्माण में महत्वपूर्ण वित्तीय योगदान दिया। श्री हनुमानजी मंदिर ट्रस्ट, जो मंदिर और उसके बुनियादी ढांचे के प्रबंधन के प्रभारी हैं, वर्तमान में सारंगपुर हनुमान मंदिर की देखरेख के प्रभारी हैं। हर दिन हजारों भक्त इस मंदिर में आते हैं, जो आज भी गुजरात में एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्मारक है।

आरती से पहले पवन पुत्र हनुमान का रात्रि का श्रृंगार उतार कर फिर नए वस्त्र पहनाए जाते हैं। जिसके बाद स्वर्ण आभूषणों से इनका भव्य श्रृंगार होता है। इसके बाद वेद मंत्रों तथा हनुमान चालीसा के पाठ के बीच हनुमान लला की आरती संपन्न होती है। आरती में सम्मिलित होना बड़े ही सौभाग्य की बात होती है। कभी-कभी, मुख्य रूप से शनिवार को, मंदिर के द्वार पर लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।