श्रीपंचमुखी आंजनेय स्वामीजी, तंजौर, तमिलनाडु

श्रीपंचमुखी आंजनेय स्वामीजी, तंजौर, तमिलनाडु
July 1, 2025 at 7:01 am

श्रीपंचमुखी आंजनेय स्वामीजी: प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमानजी को समर्पित यह मंदिर भारत के तमिलनाडु प्रांत के तंजौर जिले के कुंभकोणम नामक स्थान पर स्थित है। यहां पर श्रीहनुमानजी का पंचमुख रूप में विग्रह स्थापित है, जो अत्यंत भव्य एवं दर्शनीय है। यहां स्थित मूर्ति के पांच सिर है, प्रत्येक सिर एक अलग देवता का प्रतिनिधित्‍व करता है। इनमें से एक भगवान गरूड़, एक भगवान नरसिंह, एक प्रभु हयग्रीव, एक भगवान हनुमान और एक भगवान वराह के रूप में है।

यहां पर हनुमानजी के पंचमुख रूप के दर्शन करने से मनुष्य सारे दुखों, संकटों एवं बंधनों से मुक्त हो जाता है। मंदिर के निर्माण की कथा राम रावण के युद्ध से जुड़ी है। कभी राजाओं द्वारा शासित कुंभकोणम 7वीं और 9वीं शताब्दी के बीच एक प्रमुख शहर बन गया था। ब्रिटिश राज के दौरान यह शहर अपनी समृद्धि के चरम पर पहुंच गया था और यूरोपीय शिक्षा और हिंदू संस्कृति का प्रमुख केंद्र होने के कारण इसे दक्षिण का कैम्ब्रिज नाम दिया गया था।

श्री पंचुमखी आंजनेय हनुमान मंदिर (Panchamukhi Anjaneya Hanuman Temple) पर प्रचलित कथाओं के अनुसार जब अहिरावण तथा उसके भाई महिरावण ने श्रीरामजी को लक्ष्मण सहित अगवा कर लिया था, तब प्रभु श्रीराम को ढूंढने के लिए हनुमानजी ने इसी स्थान से अपनी खोज प्रारंभ की थी। अहिरावण की माया को विभीषण पहिचान गए थे। तब विभीषण ने बताया कि ऐसा केवल अहिरावण ही कर सकता है तो सबने हनुमान जी से मदद मांगी और वे पाताल लोक पहुंचे।

द्वार पर रक्षक के रूप में मकरध्वज से युद्ध कर और उसे हराकर जब हनुमान जी पातालपुरी के महल में पहुंचे तो श्रीराम एवं लक्ष्मण जी को बंधक-अवस्था में पाया। वहां भिन्न दिशाओं में 5 दीपक जल रहे थे और अहिरावण का अंत करने के लिए इन पांच दीपकों को एक साथ एक ही समय में बुझाना था। इसी समस्‍या के समाधान के लिए हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धारण किया। पांच मुखों को धारण कर हनुमानजी ने एक साथ सारे दीपकों को बुझाकर अहिरावण का अंत किया और श्रीराम एवं श्री लक्ष्मण को मुक्त किया।

पौराणिक कथानुसार, सागर पार करते समय एक मछली ने हनुमानजी के स्वेद की एक बूंद ग्रहण कर लेने से गर्भ धारण कर मकरध्वज को जन्म दिया था अत: मकरध्वज हनुमान जी का पुत्र है, ऐसा जानकर श्रीराम ने मकरध्वज को पातालपुरी का राज्य सौंपने का हनुमान जी को आदेश दिया। हनुमान जी ने उनकी आज्ञा का पालन किया और वापस उन दोनों को लेकर सागर तट पर युद्धस्थल पर लौट आये। हनुमान जी के इस अद्भुत स्वरूप के विग्रह देश में कई स्थानों पर स्थापित किए गए हैं।

बेट द्वारका से 4 मील की दूरी पर मकरध्वज के साथ में हनुमानजी की मूर्ति स्थापित है। कहते हैं कि पहले मकरध्वज की मूर्ति छोटी थी, परंतु अब दोनों मूर्तियां एक-सी ऊंची हो गई है। अहिरावण ने भगवान श्रीराम-लक्ष्मण को इसी स्थान पर छिपाकर रखा था। अंत में हनुमानजी ने उसे परास्त कर उसी की पूंछ से उसे बांध दिया। उनकी स्मृति में यह मूर्ति स्थापित है। मकरध्वज हनुमानजी का पुत्र था।