शक्तिपीठ – सुगंधा (सुनंदा) शक्तिपीठ: देवी भगवती को समर्पित यह शक्तिपीठ बांग्लादेश के #बरिसाल से 21 किमी उत्तर में शिकारपुर गाँव में सुनंदा नदी के तट पर स्थित है। मां सुगंध, जहां माता की नासिका गिरी थी। इसकी शक्ति है सुनंदा और भैरव या शिव को त्र्यंबक कहते हैं। यहां का मंदिर उग्रतारा के नाम से विख्यात है। यह मंदिर पत्थर का बना हुआ है। मंदिर की पत्थर की दीवारों पर भी देवी-देवताओं के चित्र उत्कीर्ण हैं। मंदिर के परिसर को देखकर समझा जा सकता है कि मंदिर बहुत ही प्राचीन है।
पौराणिक कथानुसार, जब महादेव शिवजी की पत्नी सती अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में अपने पति का अपमान सहन नहीं कर पाई तो उसी यज्ञ में कूदकर भस्म हो गई। शिवजी जो जब यह पता चला तो उन्होंने अपने गण वीरभद्र को भेजकर यज्ञ स्थल को उजाड़ दिया और राजा दक्ष का सिर काट दिया। बाद में शिवजी अपनी पत्नी सती की जली हुई लाश लेकर विलाप करते हुए सभी ओर घूमते रहे। जहां-जहां माता के अंग और आभूषण गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ निर्मित हो गए।
इस शक्तिपीठ का नाम भरतचंद्र की बांग्ला कविता ‘अन्नादामंगल’ में मिलता है। यहां पर स्थापित प्राचीन मूर्ति तो चोरी हो गई और उसके स्थान पर नई मूर्ति स्थापित है। यह मूर्ति बौद्ध तंत्र से संबंधित मानी जाती है। कार्तिक, ब्रह्मा, विष्णु, शिव और गणेश से घिरी यह मूर्ति देखने लायक है। तलवार, खेकड़ा, नीलपाद और नरमुंड की माला धारण किए उग्रतारा सुगंधा देवी मंदिर की अधिष्ठात्री हैं और यहां आने वाले पर्यटक इसकी भव्यता और शक्ति को देखकर आश्चर्यचकित रह जाते हैं।
सुगंधा शक्तिपीठ पर कैसे पहुंचा जाए ? बतादें, खुलना से स्टीमर से बरीसाल पहुंचकर वहां से सड़क मार्ग से शिकारपुर ग्राम पहुंचा जा सकता है। यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन झलकटी है, यहां से मंदिर 8 किलोमीटर की दूरी पर है और निकटतम एयरपोर्ट बरीसाल में हैं।