आज पूरे भारत में भगवान विश्वकर्मा की पूजा बड़े ही श्रद्धा और धूमधाम के साथ की जा रही है। हर साल 17 सितम्बर को मनाई जाने वाली विश्वकर्मा पूजा को विशेष रूप से कारीगरों, मजदूरों, तकनीशियनों, इंजीनियरों और औद्योगिक संस्थानों में अत्यधिक महत्व दिया जाता है। इस अवसर पर लोग अपने औजारों, मशीनों और कार्यस्थलों की पूजा करते हैं और भगवान विश्वकर्मा से कार्य में सफलता, सुरक्षा और समृद्धि की प्रार्थना करते हैं।
भगवान विश्वकर्मा का महत्व
हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा को देवताओं के दिव्य वास्तुकार और शिल्पकार माना जाता है। कहा जाता है कि उन्होंने न सिर्फ इंद्रपुरी, द्वारका नगरी और हस्तिनापुर का निर्माण किया बल्कि अनेक दिव्य अस्त्र-शस्त्र भी बनाए। ऋग्वेद और पुराणों में उनका उल्लेख मिलता है। उन्हें “देव शिल्पी” और “सृष्टि के प्रथम अभियंता” भी कहा जाता है।
पूजा का महत्व और परंपरा
विश्वकर्मा पूजा का मुख्य उद्देश्य श्रम और कौशल का सम्मान करना है। इस दिन कारीगर, इंजीनियर और मजदूर अपने औजारों और मशीनों को साफ करके फूलों और रंगोली से सजाते हैं। फिर उनकी पूजा की जाती है और प्रसाद चढ़ाया जाता है। फैक्ट्रियों और कार्यस्थलों पर विशेष छुट्टी दी जाती है ताकि कर्मचारी एक साथ मिलकर यह पर्व मना सकें।
देशभर में उत्सव का माहौल
नेताओं और प्रमुख हस्तियों की शुभकामनाएँ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को विश्वकर्मा पूजा की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि “यह पर्व श्रम, कौशल और नवाचार को सम्मान देने का प्रतीक है। भगवान विश्वकर्मा हमें नई ऊँचाइयों पर ले जाने की प्रेरणा दें।”
कांग्रेस नेता राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कई अन्य नेताओं ने भी लोगों को इस अवसर पर शुभकामनाएँ दीं।
सोशल मीडिया पर छाया पर्व
ट्विटर (X), फेसबुक और इंस्टाग्राम पर #VishwakarmaPuja और #VishwakarmaJayanti जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। लोग तस्वीरें, पूजा की झलकियां और शुभकामना संदेश साझा कर रहे हैं।
श्रम और कौशल का उत्सव
विश्वकर्मा पूजा सिर्फ धार्मिक आस्था का पर्व नहीं बल्कि श्रम और कौशल को सम्मान देने का भी प्रतीक है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि निर्माण, तकनीक और मेहनत ही प्रगति के असली आधार हैं।