शारदीय नवरात्रि 2025: मां दुर्गा के 9 स्वरूपों का महत्व, उनकी 9 दिनों तक की पूजा विधि, ध्यान मंत्र एवं उसके लाभ।

शारदीय नवरात्रि 2025: मां दुर्गा के 9 स्वरूपों का महत्व, उनकी 9 दिनों तक की पूजा विधि, ध्यान मंत्र एवं उसके लाभ।
September 24, 2025 at 8:00 pm

शारदीय नवरात्रि 2025: शारदीय नवरात्रि में मां भगवती दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा अर्चना होती है। मां के हर स्वरूप की आराधना का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं उनकी 9 दिनों तक की पूजा विधि, ध्यान मंत्र एवं उनके लाभ के बारे में।

  1. पहला दिन – मां शैलपुत्री
    स्वरूप और महत्व: मां शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। यह नवरात्रि की शुरुआत का प्रतीक है और साधकों को स्थिरता एवं दृढ़ता प्रदान करती हैं।
    दिन का रंग: पीला (ऊर्जा और खुशहाली का प्रतीक)।
    पूजा विधि: कलश स्थापना, मां की प्रतिमा पर चंदन, पुष्प, अक्षत अर्पण करें। दुग्ध से अभिषेक करें।
    शैलपुत्री मंत्र:
    1- ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः।
    2- वन्दे वांच्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्।
    वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।।
    लाभ: जीवन में स्थिरता और मानसिक शांति मिलती है।
  2. दूसरा दिन – मां ब्रह्मचारिणी
    स्वरूप और महत्व: मां ब्रह्मचारिणी तपस्या और संयम की देवी हैं।
    दिन का रंग: हरा (समृद्धि और उन्नति का प्रतीक)।
    पूजा विधि: मां को शहद, मिश्री, फल अर्पित करें और दीप प्रज्वलित करें।
    ब्रह्मचारिणी मंत्र:
    1- ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः।
    2- दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
    देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
    लाभ: ज्ञान, तपस्या और इच्छाशक्ति की वृद्धि।
  3. तीसरा दिन – मां चंद्रघंटा
    स्वरूप और महत्व: मां चंद्रघंटा विवाहित रूप में पूजित होती हैं। उनके माथे पर अर्धचंद्र होता है।
    दिन का रंग: रॉयल ब्लू (शांति और शक्ति का प्रतीक)।
    पूजा विधि: मां को पंचामृत स्नान कराएं, नीले फूल और फल अर्पित करें।
    चंद्रघंटा मंत्र:
    1- ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः।
    2-पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
    प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
    लाभ: भय दूर होता है और साहस की प्राप्ति होती है।
  4. चौथा दिन – मां कूष्मांडा
    स्वरूप और महत्व: मां कूष्मांडा ब्रह्मांड की सृष्टि की देवी मानी जाती हैं।
    दिन का रंग: नारंगी (ऊर्जा और उत्साह का प्रतीक)।
    पूजा विधि: मां को धूप, दीप, मालपुआ और पुष्प अर्पित करें।
    कूष्मांडा मंत्र:
    1- ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः।
    2- सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
    दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
    लाभ: स्वास्थ्य और ऊर्जा की प्राप्ति।
  5. पांचवां दिन – मां स्कंदमाता
    स्वरूप और महत्व: मां स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय की माता हैं।
    दिन का रंग: सफेद (शांति और शुद्धता का प्रतीक)।
    पूजा विधि: मां को केले और सफेद फूल अर्पित करें।
    स्कंदमाता मंत्र:
    1- ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः।
    2- सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
    शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
    लाभ: परिवार में सुख-शांति और संतान सुख।
  6. छठा दिन – मां कात्यायनी
    स्वरूप और महत्व: मां कात्यायनी शक्ति और साहस की प्रतीक हैं।
    दिन का रंग: लाल (शक्ति और विजय का प्रतीक)।
    पूजा विधि: मां को लाल फूल, मिश्री और सिंदूर चढ़ाएं।
    कात्यायनी मंत्र:
    1- ॐ देवी कात्यायन्यै नमः।
    2- चन्द्रहासोज्जवलकराशाईलवरवाहना।
    कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।
    लाभ: विवाह संबंधी बाधाएं दूर होती हैं।
  7. सातवां दिन – मां कालरात्रि
    स्वरूप और महत्व: मां कालरात्रि अंधकार और नकारात्मक शक्तियों का नाश करती हैं।
    दिन का रंग: नीला (संरक्षण और विश्वास का प्रतीक)।
    पूजा विधि: मां को गुड़, तिल और नीले फूल अर्पित करें।
    कालरात्रि मंत्र:
    1- ॐ देवी कालरात्र्यै नमः।
    2- एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता,
    लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
    वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा,
    वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
    लाभ: भय और शत्रु से मुक्ति।
  8. आठवां दिन – मां महागौरी
    स्वरूप और महत्व: मां महागौरी सौम्यता और पवित्रता की देवी हैं।
    दिन का रंग: गुलाबी (प्रेम और करुणा का प्रतीक)।
    पूजा विधि: मां को हलवा-पूरी, नारियल और गुलाबी फूल अर्पित करें।
    महागौरी मंत्र:
    1- ॐ देवी महागौर्यै नमः।
    2- श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बर धरा शुचि:।
    महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
    लाभ: मन की शांति और वैवाहिक सुख।
  9. नवां दिन – मां सिद्धिदात्री
    स्वरूप और महत्व: मां सिद्धिदात्री सभी सिद्धियों और शक्तियों की दात्री हैं।
    दिन का रंग: बैंगनी (आध्यात्मिक शक्ति और रहस्य का प्रतीक)।
    पूजा विधि: मां को फल, पुष्प और तुलसी अर्पित करें।
    सिद्धिदात्री मंत्र:
    1- ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः।
    2- सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
    सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥
    लाभ: सभी सिद्धियों की प्राप्ति और जीवन में सफलता।

    इस प्रकार नवरात्रि के नौ दिनों में अलग-अलग रूपों की पूजा कर भक्त मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करते हैं।