गिरजाबंध हनुमान मंदिर, छत्तीसगढ़

गिरजाबंध हनुमान मंदिर, छत्तीसगढ़
July 22, 2025 at 10:43 am

गिरजाबंध हनुमान मंदिर, छत्तीसगढ़: प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमान जी को समर्पित यह मंदिर भारत के छत्तीसगढ़ प्रांत के बिलासपुर जिले के रतनपुर गांव में स्थित है। इस मंदिर में स्थापित बजरंगबली की पूजा देव रूप के बजाय देवी रूप में की जाती है। पूरी विश्व में रतनपुर का यह मंदिर इकलौता है जहां हनुमान जी की पूजा देवी रूप में होती है। इस मंदिर में मूर्ति का सोलह श्रृंगार किया जाता है, भोग में रोटी-खीर-पुड़ी मिलती है। देवी रूपी हनुमान जी की षोडशोपचार विधि विधान से पूजा आराधना की जाती है। देश-विदेश से लोग यहां आकर हनुमान जी के दर्शन करते हैं और उनसे आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं।

प्रचलित कथाओं के अनुसार, हर दिन बजरंगबली द्वारिकापुरी से यहां मंदिर में फेरी लगाने आते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, कई लोगों का बजरंगबली से साक्षात्कार भी हुआ है। इन लोगों में तुलसीदास जी, समर्थ गुरु रामदास जी, राम भिक्षुक जी महाराज, आलू बाबा, रंग रामानुजन आचार्य, श्याम जी थवाईत, भरतलाल पांडे समेत कुछ अन्य लोग शामिल हैं। नतीजतन आज मंदिर के प्रति लोगों की भव्य आस्था है। मंदिर से जुड़ी अनेक कथाएं और जनश्रुति हैं, जो इस धाम को बेहद खास बनाती है।

अलौकिक गिरजाबंध हनुमान (Girjabandh Hanuman) का धाम बिलासपुर से 25 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां सिद्धपीठ दक्षिणमुखी गिरजाबंध श्री हनुमान जी का मंदिर है। यहां स्थापित हनुमान जी की मूर्ति स्वयंभू है जो 5 फीट ऊंची है और देवी के स्वरूप में है। मूर्ति में कंधों पर श्री राम लक्ष्मण विराजित हैं और दाहिने पैर पर राक्षस अहिरावण। बाएं पैर पर बलि देने वाला कसाई है। दाहिने हाथ में थाल लिए हुए हैं और बाएं हाथ में माला जपते हुए दिखाई देते हैं।

दरअसल मंदिर में मौजूद प्रतिमा राजा पृथ्वीदेव को एक तालाब में मिली थी। राजा ने उस तालाब की खुदाई करवाकर मूर्ति यहां से निकलवाई और इसी तालाब के पानी से मूर्ति का स्नान कर उसे स्थापित किया। राजा खुद कोढ़ से पीड़ित था। लेकिन इस तलब में स्नान करने से राजा का कोढ़ ठीक हो गया। तभी से इस तालाब में स्नान करने की परंपरा बनी हुई है। कोढ़ रोग से ग्रस्त लोग यहां तालाब में डुबकी लगाने आते हैं। और स्नान के बाद उन्हें कोढ़ में आराम भी मिलता है।