पंचमुखी हनुमान मंदिर, यमुना नगर: प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमान जी को समर्पित यह मंदिर हरियाणा प्रांत के यमुनानगर से करीब 15 कि.मी. दूर स्थित है। कहा जाता है कि इस मंदिर का संबंध महाभारत काल से है। मंदिर में लोगों की इतनी अगाध श्रद्धा है कि यहां शुक्ल पक्ष में भंडारा लगाने के लिए दो से ढाई वर्ष का इंतजार करना पड़ता है। यमुनानगर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक पंचमुखी हनुमान मंदिर को चित्त मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। हर मंगलवार को हज़ारों श्रद्धालु इस मंदिर में आते हैं, जो यमुना के किनारे पर स्थित है।
मान्यतानुसार, महाभारत काल में पांडव यहां रुके थे। उन्हें राम भक्त हनुमान के दर्शन हुए थे। उस दौरान यह क्षेत्र वीरान जंगल था। करीब 400 वर्ष के तप के बाद बाबा जानकी दास महाराज को ढाक के वृक्ष पर हनुमान जी के दर्शन हुए थे। उनको जैसे दर्शन हुए उन्होंने वैसे ही हनुमान जी की प्रतिमा बना दी। तभी से यह स्थान आस्था का केंद्र बना है। मंदिर पांच एकड़ भूमि में बना हुआ है। मंदिर के साथ जानकी कुंड के प्रति भी लोगों की अपार श्रद्धा है। कहा जाता है कि मनोकामना पूर्ण होने पर भक्त शुक्ल पक्ष में यहां भंडारा लगाते हैं। इसके लिए भक्तों को ढाई वर्षों तक इंतजार करना पड़ता है।
रामनवमी से हनुमान जन्मोत्सव तक अनवरत महामंत्र का जप किया जाता है। पंचमुखी हनुमान जी के चार मुख चारों दिशाओं में हैं। पांचवां मुख आकाश की ओर है। पूर्व दिशा में हनुमानजी का मुख है। पश्चिम की ओर का मुख पक्षियों के राजा गरुड़ देव का है। उत्तर दिशा का मुख वराह भगवान का है। दक्षिण की ओर का मुख भगवान नरसिंह का है। आकाश की ओर का मुख हयग्रीव का है। मंदिर मुख्य पुजारी के अनुसार, पहले यहां मिट्टी की पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति हुआ करती थी जो कालांतर में खंडित हो गई। बाद में दूसरी मूर्ति को स्थापित किया गया।