जगन्नाथ पुरी, उड़ीसा: भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण) का यह मंदिर उड़ीसा प्रांत के पुरी शहर में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में कलिंग राजा अनंतवर्मन चोड़गंग देव ने आरंभ कराया था। जगन्नाथ पुरी हिन्दू धर्म में माने गये चार धामों (बद्रीनाथ, द्वारिका, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम) में से एक है। यह मंदिर रथ यात्रा के लिए विश्व प्रसिद्द है। मंदिर में श्रीकृष्ण के साथ साथ सुभद्रा और बलराम की भी नित्य विधि विधान से पूजा होती है।
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान नारायण जब चार धाम में बसे तो सबसे पहले बद्रीनाथ पहुँचकर स्नान किया, द्वारिका में कपडे बदले, पुरी में खाना खाया और फिर रामेश्वरम में आराम किया। मान्यतानुसार, भगवान कृष्ण का देह त्यागने के बाद उनका ह्रदय धड़कता रहा जो आज भी जगन्नाथ की प्रतिमा में पूरी तरह सुरक्षित है।
उड़ीसा के पूरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर की वास्तुकला और निर्माण अद्वितीय है। इस मंदिर का शिखर 65 मीटर ऊंचा है, और यह 130 मीटर लंबे और 104 मीटर चौड़े एक विशाल परिसर के भीतर स्थित है। मंदिर में कई मंडप और आंगन हैं, और यह अपनी जटिल नक्काशी और मूर्तियों के लिए जाना जाता है। मंदिर के शिखर पर स्थित ध्वज और सुदर्शन चक्र भगवान जगन्नाथ का प्रतिनिधित्व करते हैं।
जगन्नाथ पुरी को धरती का बैकुंठ माना जाता है। सबसे चमत्कारिक और रहस्यमयी बात ये है कि इस मंदिर के ऊपर से कोई पक्षी नहीं उड़ता। यहाँ तक की कोई हवाई जहाज भी इस मंदिर के ऊपर से नहीं उड़ता। मंदिर के शिखर पर लगा चक्र सुदर्शन चक्र का प्रतीक है और इस पर लगा ध्वज हवा के विपरीत दिशा में लहरता है।