शक्ति पीठ – श्री ब्रजेश्वरी देवी मंदिर, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश

शक्ति पीठ – श्री ब्रजेश्वरी देवी मंदिर, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश
August 2, 2024 at 8:00 am

शक्ति पीठ – श्री ब्रजेश्वरी देवी मंदिर, कांगड़ा: 51 शक्तिपीठों में से एक यह शक्ति पीठ भारत के हिमाचल प्रांत के कांगड़ा जिले में स्थित है। यहां माता भगवान शिव के रूप भैरव नाथ के साथ विराजमान हैं। पौराणिक मान्यतानुसार, यहां माता सती का दाहिना वक्ष गिरा था। मां का यह धाम नगरकोट के नाम से भी प्रसिद्ध है। मंदिर के पास में ही बाण गंगा है, जिसमें स्नान करने का विशेष महत्व है। इस मंदिर में वर्षभर भक्त मां के दरबार में आकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं लेकिन नवरात्रि के दिनों मंदिर की शोभा देखने लायक होती है। मंदिर में आकर भक्त की हर तकलीफ दर्शन मात्र से दूर हो जाती है।

मान्यतानुसार, द्वापर युग में महाभारत काल में पांडवों ने इस मंदिर का निर्माण किया था। एक प्रचलित कथानुसार, पांडवों ने मां को सपने में बताया था कि वह कांगड़ा जिले में स्थित हैं। इसके बाद पांडवों ने मंदिर का निर्माण कराया। इस मंदिर को विदेशियों द्वारा भी कई बार लूटा गया। सन 1009 ईं में गजनवी शासक महमूद ने इस मंदिर को लूटकर नष्ट कर दिया था। मोहम्मद गजनवी ने इस मंदिर को पांच बार लूटा था। इतिहासकारों के अनुसार, 1337 में मुहम्मद बिन तुगलक और पांचवी शताब्दी में सिकंदर लोदी ने भी इस मंदिर को लूटकर तबाह कर दिया था। एक बार अकबर यहां आए थे और मंदिर के पुनर्निर्माण में सहयोग भी किया था। फिर साल 1905 में भूकंप से मंदिर पूरी तरह नष्ट हो गया, जिसे सरकार द्वारा वर्तमान मंदिर को 1920 में दोबारा बनवाया गया।

ब्रजेश्वरी मंदिर (Shri Brajeshwari Devi Temple) में माता पिंडी रूप में विराजमान हैं। यहां माता का प्रसाद तीन भागों में विभाजित करके चढ़ाया जाता है। पहला प्रसाद महासरस्वती, दूसरा महालक्ष्मी और तीसरा महाकाली को चढ़ाकर भक्तों में बांटा जाता है। मंदिर के गर्भगृह में भी तीन पिंडी हैं, पहली मां ब्रजेश्वरी, दूसरी मां भद्रकाली और तीसरी सबसे छोटी पिंडी एकादशी की है। धार्मिक मान्यतानुसार, एकादशी के दिन चावल का प्रयोग नहीं किया जाता लेकिन इस शक्तिपीठ में मां एकादशी स्वयं मौजूद हैं, इसलिए उनको प्रसाद के रूप में चावल ही चढ़ाया जाता है। कांगड़ा देवी के दरबार में 5 बार आरती का विधान है। यहां बच्चों के मुंडन करवाने की भी व्यवस्था है। जो भी भक्त सच्चे मन से मां के दरबार में पूजा-उपासना करता है, उसकी सभी मनोकामना पूरी होती हैं।

ब्रजेश्वरी मंदिर में हिंदुओं और सिखों के अलावा मुस्लिम भी आस्था के फूल चढ़ाते हैं। मंदिर में मौजूद 3 गुंबद 3 धर्मों के प्रतीक हैं। पहला गुंबद हिंदू धर्म का है, जिसकी आकृति मंदिर जैसी है, दूसरा सिख संप्रदाय का और तीसरा गुंबद मुस्लिम समाज का प्रतीक है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महिषासुर को मारने के बाद मां दुर्गा को कुछ चोटे आई थीं। उन चोटों को दूर करने के लिए देवी मां ने अपने शरीर पर मक्खन लगाया था। जिस दिन मां ने यह मक्खन लगाया था, उस दिन देवी की पिंडी को मक्खन से ढका जाता है और सप्ताह भर उत्सव मनाया जाता है।

कांगड़ा देवी मंदिर (Kangda Devi Temple) की सबसे खास बात यह है कि यह मंदिर भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में भक्तों को पहले से ही आगाह कर देता है। यहां आसपास में अगर कोई बड़ी समस्या आने वाली होती है तो भैरव बाबा की मूर्ति से आंसुओं का गिरना शुरू हो जाता है। तब मंदिर के पुजारी विशाल हवन का आयोजन कर मां से आपदा को टालने के लिए निवेदन करते हैं। बताया जाता है कि बाबा भैरव की मूर्ति पांच हजार साल पुरानी है। मंदिर के मुख्य द्वारा के आगे ध्यानु भगत की मूर्ति मौजूद है, जिन्होंने अकबर के समय में देवी को अपना सिर चढ़ाया था।