शनि शिंगणापुर मंदिर, अहमदनगर

शनि शिंगणापुर मंदिर, अहमदनगर

सूर्य पुत्र शनि देव को समर्पित यह मंदिर महाराष्ट्र प्रांत के अहमदनगर जिले में शिरडी से 65 किलोमीटर दूर शिंगणापुर गाँव में स्थित है। शिंगणापुर स्थित इस मंदिर में मुख्य देवता भगवान शनि देव हैं और मंदिर एक “जागृत देवस्थान” (जीवित मंदिर) है, जिसका अर्थ है कि मंदिर परिसर में अभी भी एक देवता निवास करता है। मंदिर का मुख्य देवता स्वयंभू है जो काले रंग के पत्थर के रूप में धरती से स्वयं प्रकट हुआ है। इस काले पत्थर की बहुत बड़ी शिला पर सरसों का तेल निरंतर चढ़ता रहता है। ऐसा कहा जाता है कि देवता कलियुग की शुरुआत से ही अस्तित्व में है। हालाँकि, कोई भी सटीक समय के बारे में निश्चित नहीं है।

जनश्रुति के अनुसार, एक बार गांव में आयी बाढ़ के बाद यह शिला एक पेड़ पर लटकी मिली। उसी रात एक चरवाहे को स्वप्न में शनि देव ने दर्शन दिए और अपने आपको उस शिला में सजीव बताया और कहा उन्हें खुले आकाश में स्थापित किया जाये। चरवाहे ने भगवान शनि से पूछा कि क्या उन्हें मूर्ति के लिए मंदिर बनाना चाहिए। इस पर शनिदेव ने उत्तर दिया कि छत की कोई आवश्यकता नहीं है। सारा आकाश मेरी छत है। यही कारण है कि भगवान शनि की काली प्रतिमा आज भी खुले आसमान के नीचे है। तभी से खुले आसमान में स्थापित इस शिला को शनि का स्वरूप मानकर पूजा अर्चना होती आ रही है।

गांव शिंगणापुर के घरों और बैंक में नहीं लगते ताले

शिंगणापुर गांव केवल इस शनि मंदिर के लिए ही प्रसिद्ध नहीं है बल्कि इस अजीब बात के लिए भी प्रसिद्ध है कि यहां किसी भी घर में दरवाजा नहीं हैं। फिर भी यहां कभी चोरी नहीं होती। केवल घरों में ही नहीं यहां तक यूको बैंक की शाखा में भी ताला नहीं लगाया जाता। मान्यतानुसार, इस मंदिर में दर्शन करने एवं शिला पर तेल चढ़ाने से शनि के किसी भी तरह के अशुभ प्रभाव से बचा जा सकता है। शनि की साढ़े साती हो, ढैया हो या फिर शनि की महादशा का अशुभ प्रभाव हो। इस मंदिर में शनि देव के दर्शन के बाद सभी तरह के अशुभ प्रभाव से छुटकारा मिलता है।

कोर्ट के आदेश के बाद महिलाओं को गर्भ गृह में जाने की मिली अनुमति

शनि शिंगणापुर मंदिर (Shani Shingnapur Temple) के गर्भगृह में पहले महिलाओं को जाने की अनुमति नहीं थी। लेकिन 26 जनवरी 2016 को तिरुपति देसाई (सामाजिक कार्यकर्ता) के नेतृत्व में 500 से अधिक महिलाओं के एक समूह ने मंदिर तक मार्च किया। वे मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने रोक लिया। लेकिन 30 मार्च 2016 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को मंदिर के आंतरिक गर्भगृह में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने का आदेश दे दिया।