विघ्नेश्वर गणपति मंदिर, ओझर

विघ्नेश्वर गणपति मंदिर, ओझर
December 18, 2024 at 3:16 pm

भगवान गणेश को समर्पित यह मंदिर भारत के महाराष्ट्र प्रांत के पूणे शहर से लगभग 85 किलोमीटर की दूरी पर ओझर गांव में स्थित है। यह मंदिर भगवान गणेश के ‘अष्टविनायक’ पीठों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण पेशवा बाजीराव प्रथम के छोटे भाई और सैन्य कमांडर ‘चिमाजी अप्पा’ ने पुर्तग़ाली शासकों को हराने के बाद 1785 में करवाया था। अन्य मंदिरों की तरह ही विघ्नेश्वर का मंदिर भी पूर्वमुखी है और यहाँ एक दीपमाला भी है, जिसके पास द्वारपालक हैं। मंदिर की मूर्ति पूर्वमुखी होने के साथ ही सिंदूर तथा तेल से संलेपित है। मूर्ति की आँखों और नाभि में हीरा जड़ा हुआ है, जो एक सुंदर दृश्य प्रस्तुत करता है।

पौराणिक मान्यतानुसार, विघ्नेश्वर नाम का एक राक्षस था जिसके आतंक से संत परेशान रहते थे। वो इन संतो की तपस्या में अड़चने डालता था। इसी स्थान पर भगवान गणेश ने इस असुर का वध किया था और संतों को उसके आतंक से मुक्त कराया था। इसलिए इस स्थान का नाम विघ्नेश्वर पड़ गया जो विघ्नो को हरने वाले श्री गणपति हैं। यहां जो भी भक्त दर्शन करने आते हैं उन पर गजानन अपनी ऐसी कृपा करते हैं कि उसके जीवन के सभी विघ्न समाप्त हो जाते हैं।

श्री विघ्नेश्वर अष्टविनायक मंदिर (Shree Vighneshwar Ashtavinayak Temple) चारों पक्षों पर ऊँची पत्थर की दीवारों से घिरा हुआ है और उसका शिखर सोने से निर्मित है। यह मंदिर कुकड़ी नदी के तट पर स्थित है। मंदिर का बाहरी कक्ष 20 फुट लंबा है और अंदर का कक्ष 10 फुट लंबा है। मंदिर में स्थापित मूर्ति की सूँड़ बायीं ओर है और इसकी आँखों और नाभि में हीरे जड़े हैं। रिद्धि और सिद्धि कि मूर्तियाँ गणेशजी के दोनो तरफ़ रखी हुई हैं। प्रवेशद्वार के पास सात नुकीली मेहराबों वाले एक सुंदर गलियारे के ठीक सामने दो बड़े दीप स्तंभ स्थित हैं। प्रवेशद्वार के दोनों ओर ध्यान लगाने के लिए छोटे कमरे डिजाइन किए गए हैं। ओझर गणपति मंदिर के पास प्रमुख पर्यटक स्थल – शिवनेरी किला, लेन्याद्री गुफाएं, लेन्याद्री गणेश, मालशेज घाट, नानेघाट और श्री भीमाशंकर।