पांडुपोल हनुमान मंदिर, अलवर, राजस्थान

पांडुपोल हनुमान मंदिर, अलवर, राजस्थान
June 17, 2025 at 5:19 am

पांडुपोल हनुमान मंदिर: प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमान जी को समर्पित यह मंदिर भारत के राजस्थान प्रांत के अलवर शहर से 55 किमी. दूर सरिस्का अभयारण्य और अरावली की सुन्दर वादियों में स्थित है। सरिस्का के बीचों-बीच स्थित इस हनुमान मंदिर का इतिहास महाभारत काल से है, जो 5000 साल से अधिक पुराना माना जाता है। मान्यतानुसार, पांडूपोल हनुमान मंदिर में लक्खी मेले के अवसर पर करीब 50 हजार श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।

पौराणिक कथानुसार, जब पांडव पुत्र अपना बारह वर्ष का वनवास पूरा कर चुके थे तो अज्ञातवास का एक वर्ष पूर्ण करने के लिए यहां आए। उस समय उन्हें राह में दो पहाड़ियां आपस में जुडी नजर आईं जिससे उनका आगे का मार्ग अवरुद्ध हो रहा था तब माता कुंती ने अपने पुत्रों से पहाड़ी को तोड़ रास्ता बनाने को कहा। माता का आदेश सुनते ही महाबली भीम ने अपनी गदा से एक भरपूर प्रहार किया। जिससे पहाड़ियों को चकनाचूर कर रास्ता बना दिया। पहाड़ पर बना दरवाजा ही पांडुपोल हनुमान मंदिर के नाम से स्थापित हो गया। एक और अन्य कथा के अनुसार, यह पांडुपोल वही स्थान था जहां भगवान हनुमान ने भीम को पराजित कर उसके अभिमान पर अंकुश लगाया था।

कथानुसार, पहाड़ को तोड़कर रास्ता बनाने के बाद भीम को अहंकार हो गया। उनके इस अहंकार को नष्ट करने के लिए हनुमान जी वृद्ध रूप में अपनी पूंछ को भीम के रास्ते में डालकर लेट गए। भीम ने वृद्ध बानर से पूंछ हटाने के लिए कहा लेकिन हनुमान जी ने अपनी पूंछ नहीं हटाई और कहा कि तुम तो बहुत बलशाली लगते हो, मेरी पूंछ हटाकर रास्ता बना लो। भीम ने पूंछ हटाने का प्रयास किया लेकिन भीम से पूंछ हिली तक नहीं। तत्पश्चात भीमसेन ने हाथ जोड़ कर वृद्ध वानर को अपने वास्तविक रूप प्रकट करने की विनती की। इस पर वृद्ध वानर ने अपना वास्तविक रूप प्रकट कर अपना परिचय हनुमान के रूप में दिया। भीमसेन ने सभी पांडव को वहां बुला कर वृद्ध वानर की लेटे हुए रूप में ही पूजा अर्चना की। इसके बाद पांडवों ने वहां हनुमान मंदिर की स्थापना की जो आज पांडुपोल हनुमान मंदिर नाम से प्रसिद्ध है। अब हर मंगलवार व शनिवार को यहां भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं, मंदिर जन-जन की आस्था का केन्द्र है।