औंगारी सूर्य मन्दिर: भगवान सूर्य को समर्पित यह मंदिर भारत के बिहार प्रांत के नालन्दा जिले के एकंगरसराय प्रखंड के धार्मिक नगर औंगारी धाम में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में करवाया गया था। एक प्रसिद्ध तालाब के तट पर स्थित यह सूर्य मन्दिर बिहार की कला एवं संस्कृति का परिचायक है। इस मन्दिर की खास विशेषता यह है कि यहाँ मनौती पूर्ण होने की आशा मे श्रद्धालु विशेष मुद्रा में भगवान सूर्य को अर्ध्य देते हैं। द्वापर युग में इसे अंगारक के रूप में जाना जाता था, जो कालांतर में औंगारी बोला जाने लगा।
धार्मिक व पौराणिक मान्यतानुसार, औंगारी धाम को सूर्यपीठ का दर्जा प्राप्त है। यहां का भी इतिहास भगवान श्री कृष्ण के पौत्र राजा साम्ब से जुड़ा है। राजा साम्ब भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र थे। एक बार सांब गोपियों संग रास रचाने में मस्त थे और वहां से गुजरते नारद जी का सम्मान नहीं कर पाए। इससे क्रोधित नारद जी ने सांब को कुष्ठ होने के श्राप दे दिया। नारद अपने साथ साम्ब को लेकर श्री कृष्ण के दरबार में पहुंचे, तो श्री कृष्ण ने कहा कि इस कुष्ठ को दूर करने के लिए सूर्य देव की उपासना करनी होगी। श्री कृष्ण द्वारा सूर्यदेव का आवाहन करने पर सूर्य देव प्रकट हुए और उन्होंने कहा कि 12 जगहों पर सूर्य धाम की स्थापना कर वहां हमारी प्रतिमा स्थापित कर पूजा करने से पुन: कंचन काया प्राप्त होगी। सांब ने सूर्य देव द्वारा श्राप मुक्ति के लिए बताए गये रास्ते पर चल कर 12 वर्षों में देश के 12 स्थानों पर सूर्य धाम की स्थापना की। तब जाकर सांब का कुष्ठ दूर हुआ। यही कारण है कि पूरे देश से लोग यहां भी छठ व्रत करने आते हैं। चैत्र और कार्तिक दो महीनों में यहां छठव्रतियों की भीड़ जुटती है। लोग यहां आकर छठ करने की मनौती भी मांगते हैं। कहा जाता है कि यहां सभी तरह के रोग व्याधि, दुख दूर होते हैं और मनोकामना पूरी होती है।
औंगारी सूर्य मंदिर (Aungari Sun Temple) का मुख्य द्वार पश्चिम की ओर है। जबकि पहले पूरब दिशा की ओर था। आम तौर पर पश्चिम की ओर मंदिर का मुख्य द्वार नहीं होता। मंदिर के गर्भगृह में आदम कद प्रतिमा भगवान भास्कर के साथ भगवान विष्णु का भी विराजमान है। यहाँ बिहारशरीफ से 30 किलोमीटर सड़क मार्ग द्वारा तथा एकंगरसराय से 05 किमी सड़क मार्ग द्वारा जाया जा सकता है। इस मंदिर की गर्भ गृह पश्चिममुखी है, जो देश के अन्य सूर्य मंदिरों से इसे विशिष्ट बनाता है। यहां एक तालाब भी है। श्रृद्धालुओं में तालाब और सूर्य मंदिर के प्रति काफी श्रद्धा है। छठ अनुष्ठान के चारों दिन तालाब के किनारे व्रती अस्थायी घेरा बनाकर रात्रि जागरण भी करते हैं।